आपने
भारतवर्ष के महान वैज्ञानिक आर्यभट्ट के बारे में सुना है।
दुनिया को शून्य देने वाले आर्यभट्ट ही थे।
आर्यभट्ट के जन्मकाल को लेकर उनके ग्रंथ आर्यभट्टीयम से जानकारी मिलती है। ग्रंथ में उन्होंने लिखा है कि कलियुग के 3600 वर्ष बीत चुके हैं, मेरी आयु 23 साल की है, जब मैं यह ग्रंथ लिख रहा हूं।
दुनिया को शून्य देने वाले आर्यभट्ट ही थे।
आर्यभट्ट के जन्मकाल को लेकर उनके ग्रंथ आर्यभट्टीयम से जानकारी मिलती है। ग्रंथ में उन्होंने लिखा है कि कलियुग के 3600 वर्ष बीत चुके हैं, मेरी आयु 23 साल की है, जब मैं यह ग्रंथ लिख रहा हूं।
भारतीय
ज्योतिष परंपरा के अनुसार कलियुग का आरंभ ईसा पूर्व 3101 में हुआ था. इस
हिसाब से 499 ईस्वी में आर्यभट्टीयम की रचना हुई। इस लिहाज से आर्यभट्ट का
जन्म 476 ईस्वी में हुआ माना जाता है, लेकिन उनके जन्मस्थान के बारे में
मतभेद है। कुछ विद्वानों का कहना है कि इनका जन्म नर्मदा और गोदावरी के बीच
के किसी स्थान पर हुआ था, जिसे संस्कृत साहित्य में अश्मक देश के नाम से
लिखा गया है।
आर्यभट्ट के गणित और खगोल विज्ञान पर अनेकों ग्रन्थ हैं, जिनमें से कुछ खो गए हैं। उनकी प्रमुख कृति, आर्यभट्टीयम, गणित और खगोल विज्ञान का एक संग्रह है, जो आधुनिक समय में भी अस्तित्व में है। उनके गणितीय भाग में अंकगणित, बीजगणित, सरल त्रिकोणमिति और गोलीय त्रिकोणमिति शामिल हैं। उनके लिखे तीन ग्रंथों दशगीतिका, आर्यभट्टीयम और तंत्र की जानकारी आज भी मौजूद है, लेकिन जानकारों की मानें तो उन्होंने और एक ग्रंथ लिखा था 'आर्यभट्ट सिद्धांत', इस समय इसके केवल 34 श्लोक ही उपलब्ध हैं।
आर्यभट्ट के गणित और खगोल विज्ञान पर अनेकों ग्रन्थ हैं, जिनमें से कुछ खो गए हैं। उनकी प्रमुख कृति, आर्यभट्टीयम, गणित और खगोल विज्ञान का एक संग्रह है, जो आधुनिक समय में भी अस्तित्व में है। उनके गणितीय भाग में अंकगणित, बीजगणित, सरल त्रिकोणमिति और गोलीय त्रिकोणमिति शामिल हैं। उनके लिखे तीन ग्रंथों दशगीतिका, आर्यभट्टीयम और तंत्र की जानकारी आज भी मौजूद है, लेकिन जानकारों की मानें तो उन्होंने और एक ग्रंथ लिखा था 'आर्यभट्ट सिद्धांत', इस समय इसके केवल 34 श्लोक ही उपलब्ध हैं।